राजस्थान के लोक देवता: Ramdevji(रामदेवजी),राजस्थान के पंचपीरो में से एक है।Ramdev ji ने मुर्ति पूजा,जातिय व्यवस्था व तीर्थ यात्रा का विरोध किया।इन्होंने कर्म की शुद्धता तथा गुरु की महता पर बल दिया। ये एकमात्र ऐसे लोकदेवता है जो कवि भी थे। आज हम इन्ही के बारे मे जानेगे-
Ramdevji
जन्म- ऊँडूकाश्मीर ( बाडमेर)पिता- अजमाल जी (पोकरण के सामन्त)
माता- मेणादे
पत्नी - नेतलदे( अमरकोट के दलेल सिंह सोढा की राजकुमारी)
गुरु- बालीनाथ जी
• रामदेवजी का जन्म भाद्रपद शुक्ल द्वितीया को हुआ जिसे बाबे री बीज के रुप मे मनाया जाता है।
• इनके घोड़े को "लीलो " कहते हैं।
• इनके झंडे को "नेजा" कहा जाता हैं।
• इनके रात्री जागरण को "जम्मो" कहा जाता हैं।
• इनके मेघवाल भक्त "रिखीया" कहलाते हैं तथा इनके द्वारा किये जाने वाले भजनो को ब्यावले कहा जाता हैं।
• रामदेवजी को विष्णु का अवतार मानते है।
• इन्हे "पीरो का पीर" भी कहा जाता हैं।
• रामदेव जी के पगल्ये की पुजा की जाती हैं।
• इन्होने भाद्रपद शुक्ल एकादशी को रुणीचा (जैसलमेर) में जीवित समाधि ली थी।
• इनकी धर्म बहिन डालीबाई मेघवाल ने भी भाद्रपद शुक्ल दशमी को रुणीचा में समाधि ली थी।
• रामदेवजी ने कामड़ीया पंथ की भी शुरुआत की तथा इस पंथ के अनुयायी इनके मेले मे तेरह- ताली नृत्य करते हैं।
• Ramdev ji को भेदभाव और छुआछूत मिटाने वाले देवता मानते हैं। इन्हे साम्प्रदायिकता का देवता भी कहा जाता है।
• रामदेवजी मारवाड़ के राव मल्लिनाथ के समकालीन माने जाते हैं।
• रामदेवजी ने "चौबीस बाणिया " नामक पुस्तक लिखी।
पत्नी - नेतलदे( अमरकोट के दलेल सिंह सोढा की राजकुमारी)
गुरु- बालीनाथ जी
• रामदेवजी का जन्म भाद्रपद शुक्ल द्वितीया को हुआ जिसे बाबे री बीज के रुप मे मनाया जाता है।
• इनके घोड़े को "लीलो " कहते हैं।
• इनके झंडे को "नेजा" कहा जाता हैं।
• इनके रात्री जागरण को "जम्मो" कहा जाता हैं।
• इनके मेघवाल भक्त "रिखीया" कहलाते हैं तथा इनके द्वारा किये जाने वाले भजनो को ब्यावले कहा जाता हैं।
• रामदेवजी को विष्णु का अवतार मानते है।
• इन्हे "पीरो का पीर" भी कहा जाता हैं।
• रामदेव जी के पगल्ये की पुजा की जाती हैं।
• इन्होने भाद्रपद शुक्ल एकादशी को रुणीचा (जैसलमेर) में जीवित समाधि ली थी।
• इनकी धर्म बहिन डालीबाई मेघवाल ने भी भाद्रपद शुक्ल दशमी को रुणीचा में समाधि ली थी।
• रामदेवजी ने कामड़ीया पंथ की भी शुरुआत की तथा इस पंथ के अनुयायी इनके मेले मे तेरह- ताली नृत्य करते हैं।
• Ramdev ji को भेदभाव और छुआछूत मिटाने वाले देवता मानते हैं। इन्हे साम्प्रदायिकता का देवता भी कहा जाता है।
• रामदेवजी मारवाड़ के राव मल्लिनाथ के समकालीन माने जाते हैं।
• रामदेवजी ने "चौबीस बाणिया " नामक पुस्तक लिखी।
Ramdevji से जुड़ी रोचक कहानी:
किंवदंती कहती है कि मक्का से पांच पीर रामदेव की शक्ति को जांचने आए थे। Ramdev ji ने उनका स्वागत किया और भोजन करने को कहा। पीरों ने मना करते हुए कहा कि वे सिर्फ अपने निजी बर्तनों में खाते हैं, जो इस समय मक्का में हैं। इस पर Ramdevji ने मुस्कुराकर कहा कि देखो, आपके बर्तन आ रहे हैं. पीरों ने देखा कि उनके बर्तन मक्का से उड़ते हुए आ रहे हैं। ramdevji की शक्ति औरक्षमताओं से प्रसन्न होकर उन्होंने उन्हें प्रणाम किया और उन्हें रामसा पीर का नाम दिया। Ramdevji की शक्ति से प्रभावित होकर पांचों पीरों ने उनके साथ रहने का फैसला किया। ramdevji की समाधि के निकट ही उनकी मज़ारें हैं।रामदेवजी(Ramdevji) का मेला:
भादवा सुदी द्वितीया (बीज) से एकादशी तक, रामदेवरा में रामदेवजी का मेला भरता हैं जिसे "भादवा का मेला" भी कहा जाता है। लाखों हिन्दू और मुस्लिम श्रद्धालु देश भर से इस मेले में आते हैं।रामदेवजी(Ramdevji) के मन्दिर
• रुणीचा ( रामदेवरा)• खुटीयाबास (अजमेर) - राजस्थान का दुसरा रामदेवरा
• पोकरण (जैसलमेर)
• छोटा रामदेवरा (गुजरात)
• हलदिना (अलवर)
रामदेवजी(Ramdevji) के उपनाम:
• रुणिचा के शासक• संत तथा समाज सुधारक
• पीरों के पीर
• रामसापीर
• रूणेचा रा धनी
• सांप्रदायिकता के देवता
Frequently Asked Questions about Ramdevji
1.रामदेव जी का जन्म कहां हुआ था
Ans. उड़ूकाश्मीर(बीकानेर)
2.रामदेव जी का मेला कहां लगता है
Ans. रुणिचा(रामदेवरा)
3.लोक देवता रामदेव जी के गुरु का क्या नाम है?
Ans. बालीनाथ जी
4.बाबा रामदेव जी के घोड़े का नाम क्या था?
Ans. 'लीला' घोड़ा
Ans. उड़ूकाश्मीर(बीकानेर)
2.रामदेव जी का मेला कहां लगता है
Ans. रुणिचा(रामदेवरा)
3.लोक देवता रामदेव जी के गुरु का क्या नाम है?
Ans. बालीनाथ जी
4.बाबा रामदेव जी के घोड़े का नाम क्या था?
Ans. 'लीला' घोड़ा