Awkal Samikaran (Differential Equation)
अवकल समीकरण (awkal samikaran) ऐसे गणितीय समीकरण होते हैं जिनमें किसी चर के सापेक्ष उसके अवकलज (Rate of Change) के बारे में जानकारी दी गई होती है। आसान भाषा में, ये समीकरण बताते हैं कि कोई मात्रा कैसे समय के साथ बदल रही है।उदाहरण के लिए, मान लीजिए गर्म चाय ठंडी हो रही है. हम कह सकते हैं कि चाय का तापमान (मात्रा) समय के साथ कम हो रहा है। अवकल समीकरण(differential equation) इस तापमान में कमी की दर को दर्शा सकता है।
अवकल समीकरणों को अक्षरों और संक्रियाओं का उपयोग करके लिखा जाता है। इन समीकरणों को हल करने का मतलब यह पता लगाना होता है कि वह कौनसा रिश्ता (Function) है जो उस मात्रा को दर्शाता है, उदाहरण के लिए, चाय का तापमान
अवकल समीकरण (awkal samikaran) कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि भौतिकी, रसायन शास्त्र, इंजीनियरिंग और अर्थशास्त्र। इनका उपयोग विभिन्न प्रणालियों के व्यवहार को मॉडल करने और भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है।
यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं:
• गति: किसी वस्तु की गति को समय के अनुसार उसके वेग के अवकलज के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
• गिरावट: गुरुत्वाकर्षण के कारण किसी वस्तु के गिरने की दर को अवकल समीकरण द्वारा दर्शाया जा सकता है।
• विद्युत परिपथ: विद्युत परिपथ में धारा के प्रवाह को अवकल समीकरणों द्वारा मॉडल किया जा सकता है।
awkal samikaran की शुरुआत में इसे समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन अभ्यास और उदाहरणों से इसे आसानी से समझा जा सकता है।
dy/dx=x-y/x+y+1
Note :- कोटि प्राप्त करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अवकल समीकरण में f (y) dx या ∫F(x)dy जैसे पद नहीं हो अगर ऐसा हो तो इन पदों को अवकलन करके हटा देना चाहिए, फिर कोटि ज्ञात करनी चाहिए।
प्रथम कोटि और प्रथम घात के अवकल समीकरण(Differential Equations of First Order And First Degree)
अवकल समीकरण (Differential Equation) :
एक समीकरण जो स्वतन्त्र चर अथवा चरों (independent variable or variables) आश्रित चर (dependent variable) तथा आश्रित चर के अवकल गुणांक (differential coefficients of the dependent variable) के बीच संबंद्ध को दर्शाता हैं, अवकल समीकरण ( differential equation) कहलाता है। जैसे -dy/dx=x-y/x+y+1
साधारण अवकल समीकरण (Ordinaty differential equation) :
परिभाषा (Definition) :- जब किसी अवकल समीकरण में अवकल गुणांक केवल एक ही स्वतंत्र - चर के सापेक्ष हों तो उस अवकल समीकरण को साधारण अवकल समीकरण (Ordinary Differential Equation) कहते है।अवकल समीकरण की कोटि तथा घात ( Order and Degree of a Differential Equation)
(i) अवकल समीकरण की कोटि (Order of a differential equation )
परिभाषा (Definition) :- किसी अवकल समीकरण में विद्यमान उच्चतम अवकलज (highest order derivative) की कोटि ( order) को ही उस अवकल समीकरण की कोटि (Order of a differential equation) कहते है ।Note :- कोटि प्राप्त करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अवकल समीकरण में f (y) dx या ∫F(x)dy जैसे पद नहीं हो अगर ऐसा हो तो इन पदों को अवकलन करके हटा देना चाहिए, फिर कोटि ज्ञात करनी चाहिए।
(ii) अवकल समीकरण की घात (Degree of a differential equation) :-
परिभाषा (Definition) :- किसी अवकल समीकरण को अवकलजों के संदर्भ में परिमेय तथा पूर्ण - बीजीय बनाने के बाद उसमें आने वाले सबसे उच्चतम अवकलज की घात (Degree of the highest order derivative) को ही उस अवकल समीकरण की घात (degree of a differential equation) कहते है ।Read more: रेखिक अवकल समीकरण को समझे
अवकल समीकरण का हल (Solution of a Differential Equation)
परिभाषा (Definition) :- फलन सम्बन्ध, एक अवकल समीकरण में उपस्थित चरों का समाकलन या हल है। जिसमें कोई अवकल गुणांक नहीं है, और यह संबंध और इससे प्राप्त अवकल गुणांक, अवकल समीकरण (differential equation) को संतुष्ट करते हैं अर्थात् किसी अवकल समीकरण को उसके हल से अवकलन तथा अन्य बीजगणितीय विधियों का प्रयोग करते हुए विलोपन द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।व्यापक हल अथवा पूर्ण हल (General solution or Complete solution)
परिभाषा :- किसी avakal samikaran के ऐसे हल को जिसमें समीकरण की कोटि के बराबर संख्या में स्वेच्छ अचर आते हों, समीकरण का व्यापक हल(General solution) कहते है।व्यापक हल के स्वेच्छ अचरों की गणना करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि वे सब स्वतंत्र हों और उनकी संख्या अवकल समीकरण (differential equation) की कोटि के बराबर हों ।
व्यापक हल के एक से अधिक रूप हो सकते है। ऐसी दशा में एक रूप में आए स्वेच्छ अचर दुसरे रूप में आए स्वेच्छ अचरों से सदैव सम्बन्धित होते है।