राजस्थान में पंच पीर: राजस्थान की धरती ने कई संतों और महापुरुषों को जन्म दिया है जिन्होंने विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच विवादों को खत्म कर भाईचारे का संदेश दिया। राजस्थान के लोक जीवन में अनेक महान विभूतियाँ देवताओं के रूप में अमर हैं। इनमें से कुछ लोक देवताओं को पीर नाम दिया गया।इन पंचपीरो की हिन्दू और मुस्लिम दोनों में समान मान्यता हैं। राजस्थान में निम्न पंच पीर हुए-
1.पाबूजी(Pabuji)
2. हडबूजी(Hadbuji)
3.रामदेव जी(Ramdev ji)
4. मांगलिया मेहाजी(Meha ji)
5. गोगाजी(Goga ji)
राजस्थान के पंच पीरों के बारे में एक प्रसिद्ध दोहा इस प्रकार है:
।। पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया, मेहा। पांचो पीर पधारज्यों, गोगाजी जेहा।।
आज हम इन्ही पंच पीरो में से एक pabuji के बारे में जानेंगे-
पिता -धांधल जी
माता- कमलादे
पत्नी - फुलमदे/ सुप्यारदे ( अमरकोट के सुरजमल सोढ़ा की राजकुमारी)
1.पाबूजी(Pabuji)
2. हडबूजी(Hadbuji)
3.रामदेव जी(Ramdev ji)
4. मांगलिया मेहाजी(Meha ji)
5. गोगाजी(Goga ji)
राजस्थान के पंच पीरों के बारे में एक प्रसिद्ध दोहा इस प्रकार है:
।। पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया, मेहा। पांचो पीर पधारज्यों, गोगाजी जेहा।।
आज हम इन्ही पंच पीरो में से एक pabuji के बारे में जानेंगे-
पाबू जी राठौड ( लक्ष्मण का अवतार)
जन्म - कोलूमंड (जोधपुर)पिता -धांधल जी
माता- कमलादे
पत्नी - फुलमदे/ सुप्यारदे ( अमरकोट के सुरजमल सोढ़ा की राजकुमारी)
- चादा और डामा नाम के भील भाई उनके सहयोगी थे।
- इनकी घोड़ी का नाम केसर कलमी था।
- इनका मेला चैत्र अमावस्या को भरता है।
पाबूजी से सम्बन्धित वाद्ययंत्र:
• पाबूजी के पुजारी(भोपा) भील जाति के होते है। इनकी फड़ का वाचन भी इन्ही के द्वारा ही किया जाता हैं। फड़ वाचन में रावणहत्था वाद्य यंत्र बजाया जाता हैं।
फड़ (Phad): ये रंगीन कपड़ों पर बनाई गई लंबी कथावाचक चित्रकारी हैं, जो पाबू जी की कहानी को दर्शाती हैं।
• इनके वीरता के गीतों को पवाडे कहा जाता हैं तथा पवाड़े माट वाद्ययंत्र के साथ गाये जाते हैं।
पाबूजी के अन्य नाम (उपाधियाँ):
• इन्होनें गुजरात के सात थोरी भाईयों की रक्षा की जिससे इन्हे शरणागत रक्षक भी कहते है।
• राजस्थान मे सर्वप्रथम ऊँट लाने का श्रेय भी पाबूजी को ही जाता है।इसलिए इन्हे ऊँट रक्षक देवता भी कहते है।
ऊँट पालक जाति- राइका/ रेबारी / देवासी
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पाबूजी से सम्बंधित पुस्तकें:
• पाबू प्रकाश - आशिया मोडजी
• पाबूजी रा छन्द- बीठू मेहा जी
• पाबूजी रा दुहा- लखराज
• पाबूजी रा सोरठा- रामनाथ
• पाबूजी रा रूपक- मोतीसर बख्तावत
• पाबूजी रा छन्द- बीठू मेहा जी
• पाबूजी रा दुहा- लखराज
• पाबूजी रा सोरठा- रामनाथ
• पाबूजी रा रूपक- मोतीसर बख्तावत
Frequently Asked questions :
1. पांच पीर कौन कौन से हैं
- पाबूजी
- हड़बूजी
- रामदेवजी
- मेहा जी
- गोगाजी
2. सबसे छोटी फड़ कौन सी है?
उत्तर: Pabuji की फड़
3.पाबूजी की फड़ का वाचन कौन करता है?
उत्तर: भील भोपों द्वारा
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