गोगाजी(Gogaji)- राजस्थान के लोक देवता

गोगाजी चौहान(Gogaji)

गोगाजी(Gogaji) का जन्म विक्रम संवत् 1003 में ददरेवा (चुरू) में हुआ। इनके पिता का नाम जेवर सिंह तथा माता का नाम बाछलदे था।गोगाजी ने महमूद गजनवी के साथ युद्घ किया था तथा गजनवी ने इन्हें जाहिर पीर कहा था।
गोगाजी, अपने मौसेरे भाईयों अरजन-सरजन के खिलाफ गायों की रक्षा करते हुए मारे गये थे। गोगाजी(Gogaji) को हिन्दू व मुस्लिम दोनों सम्प्रदाय के लोग मानते हैं।
गोगाजी(Gogaji)- राजस्थान के लोक देवता



गोगाजी(Gogaji) से सम्बंधित कहानियाँ:

राजस्थान में गोगाजी(Gogaji) से संबंधित एक कहानी बहुत प्रसिद्ध है। गुरू गोरखनाथ की कृपा से राजस्थान के लोक देवता गोगाजी का जन्म हुआ था। गोगाजी की माँ बाछल देवी को कोई बच्चा नहीं था। संतान सुख नहीं मिलता, भले ही सभी कोशिशें की जाएं। गुरु गोरखनाथ ने गोगामेडी मे तपस्या कर रहे थे। जब बाछल देवी उनकी शरण में गईं, गुरु गोरखनाथ ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान और एक गुगल (फल) दिया। प्रसाद खाने के बाद बाछल देवी गर्भवती हो गई और गोगाजी का जन्म हुआ। इनका नाम गुगल (फल) से गोगाजी पड़ा।

गोगाजी(Gogaji) का विवाह:

लोककथाओं में वीर गोगाजी की दो पत्नियों के नाम राणी केलमदे और राणी सिरियल बताए गए हैं। पाबूजी के भाई बूडोजी की पुत्री राणी केलमदे बताई जाती है।



गोगाजी(Gogaji) के मन्दिर:

  • शीर्षमेड़ी (ददरेवा,चुरू)
  • गोगामेड़ी(हनुमानगढ़)
मान्यता है कि युद्धभूमि में लड़ते हुए गोगाजी का सिर चूरू जिले में जिस स्थान पर गिरा था, उसे "शीश मेड़ी" कहा जाता है, और जहां उनका शरीर गिरा उसे "गोगामेड़ी" कहा जाता है। गोगाजी की जन्मस्थली ददरेवा को 'शीर्ष मेड़ी' कहते हैं, जबकि गोगाजी की समाधिस्थली भादरा-हनुमानगढ़ को 'गोगा मेड़ी' या धड़ मेड़ी / धुरमेड़ी कहते हैं।
  • साँचोर (जालौर) में खिलेरियों की ढाणी में गोगाजी मंदिर है, जिसे "गोगाजी की ओल्डी" कहते है।
  • राजस्थान में गोगाजी के मन्दिर के मन्दिर के लिये कहावत- "गाँव-गाँव गोगो ने गाँव-गाँव खेजड़ी"  हैं । जिसका अर्थ हैं कि गावों में खेजड़ी हैं तथा उनके नीचे गोगाजी के थान हैं।

गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) मन्दिर से जुड़े कुछ तथ्य:

  • यह मन्दिर मकबरा शैली में बना हुआ हैं।
  • इसपर बिस्मिल्ला लिखा हुआ हैं।
  • यहाँ मन्दिर में हिन्दू और मुस्लिम पुजारी एक साथ होते हैं जो राजस्थान में सम्प्रदायिक सदभावना का उदाहरण हैं।
  • गोगाजी के मन्दिर का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने करवाया तथा वर्तमान स्वरुप बीकानेर के राजा गंगासिंह द्वारा दिया गया।
राजस्थान का किसान बारिश के बाद हल जोतने से पहले हल और हाली को गोगा राखड़ी (गोगा राखी) बाँधता है।



गोगाजी के उपनाम:

  • गोगाजी चौहान
  • गुगो
  • जाहिर पीर
  • सर्प रक्षक देवता
  • जाहिर वीर
  • गोगा पीर

गोगाजी का मेला:

हनुमानगढ़ जिले के गोगामेड़ी में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की नवमी को लोकदेवता गोगाजी चौहान का विशाल मेला होता है। एक महीने तक यह मेला चलता है।

गोगाजी का घोड़ा

'नीली घोड़ी', गोगाजी की सबसे लोकप्रिय घोड़ी थी, जिस पर वे हर समय सवार होते थे।

Frequently Asked Questions:


1.गोगाजी के मुस्लिम पुजारी को क्या कहा जाता है?
Ans. गोगाजी के मुस्लिम पुजारी चोयल होते हैं।

2.गोगाजी कौन से वंश के थे?
Ans. चौहान वंश

3.जाहर वीर कौन है?
Ans. गोगाजी को जाहिर वीर , जाहर पीर भी कहते हैं।

4.गोगा जी के गुरु का क्या नाम था?
Ans. गोगाजी के गुरु गोरखनाथ थे।

5.गोगा पीर की पत्नी का क्या नाम था?
Ans. गोगाजी की दो पत्नियाँ थी-
  • केमलदे
  • सिरियलदे

6.लोक देवता गोगाजी किस शासक के समकालीन थे?
Ans. गोगाजी मुहमद गजनवी के समकालीन थे।

7.राजस्थान के किस लोक देवता ने महमूद गजनवी से युद्ध किया था?
Ans. गोगाजी चौहान(Gogaji)

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