Rajasthan ki janjatiyan( राजस्थान की जनजातियां)
राजस्थान, "वीरों की धरती" के नाम से जाना जाने वाला राज्य, अपनी समृद्ध संस्कृति और विविधतापूर्ण जनजातीय समुदायों के लिए भी प्रसिद्ध है। rajasthan ki janjatiyan हजारों साल पुराना इतिहास रखती हैं , और वे अपनी अनूठी भाषाओं, परंपराओं, रीति-रिवाजों और कलाओं के लिए जानी जाते हैं।
राजस्थान में 43 से अधिक अनुसूचित जनजातियाँ निवास करती हैं, जिनमें भील, मीणा, गरासिया, डामोर, कंजर, सहरिया, गरासिया, मांडवी, भिलाला और भाटी प्रमुख हैं। इनमें से प्रत्येक जनजाति की अपनी विशिष्ट पहचान है, जो उन्हें राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल हिस्सा बनाती
सर्वाधिक जनजातियाँ = उदयपुरन्यूनतम जनजातियाँ = बीकानेर
सर्वाानिक प्रतिशत जनजातियाँ =बांसवाड़ा
न्युनतम प्रतिशत जनजाति =नागौर
Rajasthan ki janjatiyon से सम्बंधित जिले -
गरासिया- सिरोही
सहरिया- बारा
सांसी-भरतपुर
कथौड़ी-उदयपुर
डामोर-डुगरपुर
मीणा जनजाति:
उत्पत्ति- मत्सवतार (अवतार विष्णु)मीणा के प्रकार-
1.चौकीदार मीणा
मीणा पुराण(book)- मुनी मगन सागर
अनाज रखने की कोठी- ओबरी
मुखिया - पटेल
पंचायत-84 (चौरासी)
मीणा जो जगल मे घर बनाते है - मेवासे
मीणाओं का पवित्र स्थान - रामेश्वर( सवाई माधोपुर)
↪ चम्बल,बनास, सीप नदियाँ मिलती है
भुरिया बाबा(अरनोद) की झूठी कसम नहीं खाते
मोरनी मोरा का संबंध - मीणा जाति
जब कोई संकटआता है तो आवाज कीकमारी लगाते है।
भील - तीर कमान
स्थान-उदयपुर, बासवाड़ा,भीलवाड़ा• जहां भील रहते है उस स्थान को भोमठ कहते है।
• भील अपने आप को शंकर के पुत्र मानते हैं
• टॉड ने भीलो को वन-पुत्र कहा
भीलो के प्रकार
1. लगोटिया- लंगोट ( खोयतू )
2. पोतीहदा- पगड़ी, लंगोट
• फायरे फायरे- संकट आने पर आवाज
• चिमाता-पहाड़ के ऊपर करने वाली कृषी
• दजिया- नीचे कृषी
• भील केसरियानाथजी की कसम खाकर झूठ नही बोलते
• विवाह की देवी- भराडी
• भीलो का घर- तापरा
• कुलदेवता - टोटम
प्रमुख नृत्य
• गेर
• गवरी
• युध्द
• द्विचक्री
• हथिमना
• घुमरा
• नेजा
- आदिम पिछड़ी जाति
- स्थान-बारां
- मेला - सीताबाड़ी
- घर - टापरी
- गांव- सहरोल
- मुखिया-कोतवाल
- पेड़ों पर झोपड़ी - गोपूना /टोपा
- समान रखने की खोठरी - कुसिला
- देवी - कोडिया
- देवता -तेजाजी
- स्त्री पुरुषसाथ मेमे नृत्य नही करते
पंछा-घुटनो तक पहने जाने वाली धोती
सलुका -अंगरखी
• इनका संस्कार धारी संस्कार कहलाता हैं
• ये श्राद्ध नही करती है।
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गरासिया
टॉड के अनुसर गरासिया - ग्वास (नौकर) से बना हैंमुल स्थान- बदोडा (गुजरात)
राजस्थान में सर्वाधिक गरासिया - सिरोही
पवित्र झील-नक्की
घर- धेर
मुखिया- सहलोत
माण्ड -अतिथि के लिए घर
हुर्रे-मरने के बाद बनाने वाले स्मारक
झुलकी: पुरुषों की कमीज
हसली -गले का आभुषण
झेले/ मुरकी -कान का आभुषण
मोर- पवित्र पक्षी
सफेद-पवित्र रंगी
नक्की झील-पवित्र झील
खाटला-चारपाई
घेरी -अनाज पिसने की चक्की
मोरबन्धिया
पहरावना- नाममात्र के फेरे
ताणना- वधु मूल्य( धापा)
मेलवी
प्रमुख नृत्य
• वालर
• मंडल
• लूर
• कूद
• ज्वारा
• मोरिया
कंजर
स्थान - कोटा ( हाडौती क्षेत्र)
कंजर शब्द संस्कृत भाषा के कनकाचर (जंगल मे रहने वाला से) बनाता है।
मरने पर शव को जाढ़ते है और मुह मे शराब डालते है।
कजर हाकम राजा का प्याला पिकर कभी झूठ नहीं बोलते है।
अराध्य देवता - हनुमान जी
देवी - चौथ माता
मुखिया - पटेल
नृत्य करते समय खुसनी पहनते है।
• चकरी- अविवाहित महिला करती है। 80 कली का घाघरा पहनकर
कथौडी
• मुख्य व्यवसाय खेर से कत्था तैयार करना हैं
• इनकी झोपड़ी को खोलरा बोलते हैं
• पती और पत्ता पत्नी साथ शराब पिते है।
देवी - कसारी, भारी
देवता- डुगरदेव, बाधमेव
सांसी
उत्पत्ति - सासमल
सर्वाधिक सांसी -भरतपुर, झुन्झुनू
सांसी की उपजातिया
1. बीजा
2. माला
प्रमुख रसम → कुकडी
सांसी जनजाति मे विधवा विवाह नही होता है।
स्थान- डूंगरपुर
गाँव की छोटी इकाई- फला
मुखिया- मुखी
• डामोर जनजाति में पुरुष भी महिलाओं की तरह आभूषण पहनते हैं।
• प्रमुख मेले-
झेला ववसी (गुजरात)ग्यारस का रेवाडी मेला( डूंगरपुर)
राजस्थान सरकार rajasthan ki janjatiyon के समुदायों के विकास और कल्याण के लिए अनेक योजनाएँ चला रही है। इन योजनाओं का उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और अन्य क्षेत्रों में इन समुदायों को सशक्त बनाना है।
Rajasthan ki janjatiya अपनी समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और कलाओं के साथ भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास करना हम सबका कर्तव्य है।